जानिए क्या हैं ADHD
ADHD क्या हैं ?
ADHD इन शब्दों से बना हैं – Attention Deficit Hyperactivity Disorder. यह एक ऐसी स्थिति हैं जिसमें मस्तिष्क का विकास और मस्तिष्कीय कार्य सामान्य स्थिति से अलग होते हैं. मस्तिष्क द्वारा नियंत्रित होने वाले कुछ कार्यों पर इसका असर पड़ता हैं -जैसे एकाग्रता, आत्म नियंत्रण, एक जगह टिक कर बैठ सकना। ADHD के कारण बच्चे का पारिवारिक, सामाजिक और स्कूली जीवन प्रभावित होता हैं.
ADHD क्यों होता हैं ?
मस्तिष्क की सामान्य क्रियाशीलता में यह फर्क क्यों आ जाता हैं इसका कोई स्पष्ट कारण नहीं मिल सका हैं पर फिर भी इसके आनुवांशिक होने के ठोस प्रमाण मिले हैं।
ADHD का सम्बन्ध खान पान से, परवरिश के तरीकों से या स्क्रीन टाइम (फ़ोन, कंप्यूटर टेलीविज़न के अधिक इस्तेमाल) से नहीं पाया गया हैं।
ADHD के लक्षण क्या हैं ?
बच्चों में स्वाभाविक रूप से धैर्य कम होता हैं, एक काम को करते हुए उनका ध्यान सरलता से किसी और आकर्षण की ओर भटक सकता हैं। सामान्यतः सभी बच्चों में कुछ उतावलापन होता ही हैं, ऊर्जा और जिज्ञासा दोनं अधिक होते हैं इसलिए उन्हें एक जगह टिक कर बैठाना मुश्किल होता हैं पर ADHD में ये स्थितियाँ बहुत अधिक विकट हो जातीं हैं। बच्चों में यह उतावलापन बार बार देखने को मिलता हैं और लम्बे समय तक बना रहता हैं।
ADHD वाले बच्चों में इन तीन श्रेणियों में से कोई एक, कोई दो, या तीनों प्रकार के लक्षण उपस्थित हो सकते हैं :
1. एकाग्रता का अभाव – बच्चों का ध्यान बहुत सरलता से भटक जाता हैं। उन्हें ऐसे कार्य/एक्टिविटीज करने में दिक्कत आती हैं जिनमें ध्यान को एकाग्र करने की और कुछ देर उस काम पर लगातार बने रहने की जरुरत हो। बच्चे कार्य के लिए दिए जाने वाले निर्देशों को ठीक से सुनते ही नहीं हैं और कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिस कर देते हैं और इसी वजह से शुरू किये गए कार्य को पूरा कर ही नहीं पाते। आवश्यक नहीं के कोई बाहरी कारण (शोर या दृश्य) उनका ध्यान भटकाए, वे काम करते करते बीच में अपने ही दिमाग में चल रहे ख्यालों में गुम हो जाते हैं। देखने में ऐसा लगता हैं के उनका दिमाग कहीं और ही हैं, या भुलक्कड़ किस्म के प्रतीत होते हैं पर वास्तव में वे भूले नहीं होते बल्कि उन्होंने “सुना” ही नहीं होता क्योकिं सुनते-सुनते ही उनका दिमाग उन्हें कहीं और ले जाता हैं।
2. अति सक्रियता (हाइपर एक्टिविटी) : बच्चे अत्यंत अधीर, चंचल और बैचैन से रहते हैं। किसी भी काम को करते हुए बहुत जल्द बोर हो जाते हैं। आवश्यकता होने पर भी टिक कर बैठना और शांत/चुप रहना इनके लिए लिए बहुत कठिन होता हैं। बेवजह उछलना, फर्नीचर पर कूद फाँद करते रहना (बिना यह परखे के इस से उन्हें या किसी अन्य को चोट लग सकती हैं या इस से घर की चीजों नुकसान पहुँच सकता हैं। उनकी हरकतें ऐसी लगती हैं के वे दूसरों को परेशां करने के उद्देश्य से कर रहें हो हालाँकि उनके अपने मन में ऐसा भी कोई उद्देश्य नहीं होता।
3. आवेगशील (Impulsive) : आवेगशील बच्चे बिना सोचे तुरंत प्रतिक्रिया देते हैं। किसी खेल या एक्टिविटी के लिए अपनी बारी की प्रतीक्षा करना इन्हें असंभव जान पड़ता हैं और अधीर हो कर धक्का मुक्की करना, छीना छपटी करना, बार-बार बीच में बोलना… ताकना-झांकना. अच्छी लगने वाली वस्तु को बिना इज़ाज़त ले लेना , खतरे को भाँपे बिना किसी चीज की ओर आकर्षित हो कर उसे छूने की कोशिश करना। कोई अनचाही परिस्थिति आने पर बहुत भावनात्मक आवेश में आ जाना जो की उस परिस्थिति के हिसाब से उपयुक्त ना हो।
बच्चों में ADHD के लक्षण बहुत जल्दी पहचाना कठिन हैं क्योकि छोटे बच्चों के स्वभाव में अस्थिरता और चंचलता स्वाभाविक रूप से देखी जाती हैं पर स्कूल जाना शुरू करने के बाद वहाँ के औपचारिक वातावरण और सामान्य अनुशासन में भी ये लक्षण कायम रहें या बढ़ें तो स्क्रीनिंग की जरुरत हैं।
ADHD की पहचान कैसे की जाती हैं ?
अगर आपको संदेह हैं के आपके बच्चे को ADHD हो सकता हैं तो आप डॉक्टर से मिलिए. डॉक्टर बच्चे का पूरा check-up करते हैं जिसमें दृष्टि और श्रवण शक्ति की जांच शामिल हैं. जब डॉक्टर को यह लगता हैं के बच्चे के व्यवहार के पीछे कोई अन्य शारीरिक कारण नहीं हैं तो वे बाल मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक के पास जाने की सलाह देंगें। मनोवैज्ञानिक आपको बच्चे के स्वास्थ्य और व्यवहार से सम्बंधित कुछ प्रश्न पूछेंगे। वे आपको कुछ checklists भी देंगे जो आपको बच्चे के व्यवहार के आधार पर भरनी होगी। ऐसी ही checklist वे बच्चे की टीचर के लिए भी देंगे ताकि स्कूल में उसके व्यवहार को भी समझा जा सके.
सारी जानकारी एकत्रित करने के बाद मनोवैज्ञानिक यह देखते हैं कि –
- बच्चे की अधीरता, भटकाव, सक्रियता उसकी आयु के लिहाज से बहुत अधिक हैं
- क्या यह व्यवहार बहुत छुटपन से चला आ रहा हैं
- अधीरता, बेचैनी, अति-सक्रियता और भटकन के कारण उसकी दिनचर्या और स्कूल में उसका प्रदर्शन प्रभावित हो रहा हैं
- हेल्थ रिपोर्ट यह बताएगी के बच्चे को अन्य कोई शारीरिक समस्या (दृष्टि, श्रवण, आयरन की कमी आदि) नहीं हैं
- वे यह भी जाँचेंगे के क्या ADHD के साथ जुड़ी हुई अन्य समस्याएँ जैसे धीरे सीखना – slow learning, एंग्जायटी, मूड स्विंग्स भी हैं।
ADHD का इलाज क्या हैं ?
ADHD के इलाज में ये चार चीजे शामिल हैं –
दवाएँ – ये अति-सक्रियता को कम करने में, एकाग्रता बढ़ाने में, आत्म नियन्त्रण स्थापित करने में सहायक होती हैं।
बिहेवियर थेरेपी – थेरेपिस्ट बच्चों को सामाजिक और भावनात्मक रूप से उचित व्यवहार करना सिखाते हैं. वे उन्हें इस तरह की एक्सरसाइजेज भी करवाते हैं जो एकाग्रता बढ़ाने में सहायक हो।
अभिभावक प्रशिक्षण – इस विशेष काउंसलिंग सेशन में माता पिता और परिजनों को यह सिखाया जाता हैं के बच्चों के इस व्यवहार के प्रति कैसे प्रतिक्रिया दें।
स्कूल सपोर्ट – स्कूल में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त स्टाफ होते हैं जो पढ़ाने की विशेष तकनीक का इस्तेमाल करते हैं।
सही समय पर सही इलाज शुरू हो जाने से ADHD की स्थिति में सुधार संभव हैं। माता-पिता और टीचर्स दोनों के मिले जुले सहयोग से बच्चे अपनी एकाग्रता, अधीरता पर नियंत्रण पाना सीखने लगते हैं। जैसे जैसे वे बड़े होते जाते हैं वे बिना बाहरी सहयोग से आत्म-नियन्त्रण पाने लगते हैं।
यदि ADHD का सही उपचार/थेरेपी न शुरू की जाये तो बच्चों का आत्मविश्वास बुरी तरह प्रभावित होता हैं। वे बाकि बच्चों की तरह क्यों नहीं सीख पा रहे हैं, वे ही क्यों समझ नहीं पा रहे… यह दबाव उन्हें अत्यधिक तनाव में लाने लगता हैं और वे एंग्जायटी के शिकार भी हो सकते हैं। विद्रोही व्यवहार, गलत बहकावे में आ कर ड्रग्स या अन्य अपराधों से जुड़ जाने के चान्सेज़ भी बढ़ जाते हैं।
बतौर माता पिता आपको क्या करना चाहिए ?
ADHD को जानिए – वह सब जो आप ADHD के बारे में जान सकते हैं, जानिए. डॉक्टर द्वारा बताये गए इलाज/थेरेपी को निर्देशानुसार निभाइये। थेरेपी के सेशंस के प्रै लापरवाही न रखें।
दवाओं के प्रति पूरी सावधानी रखिये – दवाओं का समय और डोज़ दोनों के प्रति नियमित रहिये। दवाओं की डोज़ को कभी अपनी मर्जी से कम या ज्यादा न करें। दवाओं को सुरक्षित स्थान पर रखे ताकि बच्चा अपनी मर्जी से लापरवाही में उन्हें न ले सके।
स्कूल से जुड़िये – बच्चे की टीचर से मिलते रहिये और बच्चे की प्रोग्रेस की जानकारी रखिये। जानिए की क्या स्कूल में ADHD के लिए कोई विशेष व्यवस्था हैं? क्या आपके बच्चे को उस विशेष व्यवस्था की आवश्यकता हैं? यदि हाँ, तो कितने समय बाद वह फिर से अपनी मूल कक्षा के साथ पढ़ सकता हैं यह रिपोर्ट भी लेते रहिये।
परवरिश को उद्देश्यपूर्ण और प्रेमपूर्ण बनाइये – ADHD वाले बच्चों के लिए उपयोगी परवरिश की तकनीकों के बारे में थेरेपिस्ट से जानिए। उन तौर-तरीकों के बारे में भी जानिए जो इस स्थिति में खतरनाक साबित हो सकती हैं। अपने बच्चे की कमियों से अधिक उन क्षेत्रों पर ध्यान दीजिये जहाँ वे अच्छा कर रहें हैं क्योकिं इन्हीं क्षेत्रो को और अधिक सबल बनाने से उसे सामान्य सामाजिक जीवन में ला सकने में सहायता मिलेगी। ADHD से सम्बंधित सपोर्ट ग्रुप्स या संगठन से जुड़िये इस से आपको आपके जैसे माता-पिता के अनुभवों का लाभ मिल सकेगा और ADHD के इलाज के लिए उपलब्ध नयी तकनीकों के विषय में जानकारी भी मिलती रहेगी।